थोड़ा सा तुम और थोड़ा सा हम
आओ मिलकर इश्क करे।
बहुत हुई नफरत की बातें
आओ मिलकर इश्क करे।
बीच में उठती दीवारों को
थोड़ा थोड़ा तोड़े क्या,
बातों ही बातों में फिर
थोड़ा थोड़ा इश्क करें।
गर तुम कहो बुरा कुछ
थोड़ा मुस्कुरा कर मैं टालू,
कुछ फूल गुलाबों की
फिर थोड़ी थोड़ी मुश्क भरे।
तुम्हारी पीड़ा मैं जानूँ
तेरी आँखों में मेरे अश्क़ भरे
थोड़ा थोड़ा फिर से क्यों न
आओ मिलकर इश्क करे☺
#बस_यूँ_ही
💓लता
लफ़्जो के धागे चुन चुन के
ताना बाना बुन बुन के,
अल्फ़ाज़ों से दिल का सफर,
लफ्ज़ लफ्ज़ में डूबूँ पहरों पहर।
फिर गीत कोई तेरे नाम लिखूँ,
या अपनी सुबह ओ शाम लिखूँ।
फिर रूमानी सा ख्वाब लिखूँ,
या कोई हकीकत आज लिखूँ।
अल्फ़ाज़ों से दिल का सफर..
फिर बच्चो सी नादानी लिखूँ,
या फिर अपनी कोई दानाई लिखूँ।
फिर चाँद पर कोई गीत लिखूँ,
या तुझको अपना मनमीत लिखूँ।
फिर शब्दों के ताने बाने बुनूँ,
या एक एक लफ्ज़ का धागा चुनूँ ।
अल्फ़ाज़ों से दिल का सफर
कदम दर कदम..
#बस_यूँ_ही
लता हाड़ा
कुछ ख्वाब चुराने है,
कुछ किस्से चुराने है,
थोड़ी सी हंसी भी,
और कुछ गम भी चुराने है।
बून्द बून्द सी प्यास भी,
और समन्दर से सैलाब भी चुराने है।
कुछ अनकहे जज़्बात भी,
और कुछ कहीं गयी बात भी चुरानी है।
कुछ ठहर गया सा वक़्त भी
और कुछ गुजर चुकें लम्हे भी चुराने है।
सुनो जिंदगी...
तुमसे थोड़ी जिंदादिली चुरानी है😄😄
#बस_यूँ_ही
लता हाड़ा
आओ हम भी झूठ का जश्न मनाते है,
जहर पी कर उसे दवा बताते है।
छीनकर मुंह से निवालां,
उपवास के फायदे गिनवाते है।
दिखाकर ख्वाब महलों के,
झुग्गी बस्तियां जलवातें है।
जिन सवालों के जवाब देना मुश्किल हो,
उन सवालों को देशद्रोह बताते है।
किसी की भरने को तिजोरियां फिर,
तुम्हारी जेब से चंद सिक्के चुराते है।
आओ हम भी झूठ का जश्न मनातें है...
#बस_यूँ_ही
लता हाड़ा
तितली, फूल गुलाब और मैं
चाँद, सितारे, रात और मैं
उलझते थे आपस में
नींद, नैना , ख्वाब और मैं
चले थे कुछ देर साथ
नदीं, किनारे, नाव और मैं
गिरती उठती साँसों में
दिल ,धड़कन, एहसास और मैं